Village Energy Model: प्रत्येक गांवों में शुरू होगा ग्राम-ऊर्जा मॉडल, सरकार की योजना से एलपीजी की खपत होगी 70 प्रतिशत कम

Village Energy Model: प्रत्येक गांवों में शुरू होगा ग्राम-ऊर्जा मॉडल, सरकार की योजना से एलपीजी की खपत होगी 70 प्रतिशत कम

यूपी सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की आवश्यकता की पूरा करने के साथ-साथ रोजगार के नए मौके बनाने को लेकर ग्राम-उर्जा मॉडल को आरंभ किया गया है। इस मॉडल को आराम करने का उद्देश्य ग्रामीण रसोई में एलपीजी की खपत को तकरीबन 70% तक कम किया जाना है। व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े 👉 यहां पर क्लिक करें

Village Energy Model

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) से ग्राम-उर्जा मॉडल को जोड़ा जा रहा है। इसके चलते किसानों को सीधा लाभ प्राप्त होगा। इस योजना के चलते प्रत्येक गांव में जैव-गैस (बायोगैस) यूनिट को लगाया जाएगा। जिसकी वजह से किसानों को अपने घर या फिर अपने खेत के नजदीक रसोई गैस के साथ-साथ जैविक खाद बना सकते हैं।

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पशुधन की मदद से बायोगैस व खाद

प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्रामों के अंदर गौशालाएं (काउ शेड) बनेंगी। जिसमें पशुओं से प्राप्त होने वाला गोबर बायोगैस प्लांट में इस्तेमाल किया जाएगा। जिसके चलते रसोई गैस तैयार किया जाएगा जिसका इस्तेमाल घरेलू के लिए प्राप्त होगा। इसके अलावा बायोगैस के पश्चात बचाने वाली सैलरी को खाद के तौर पर उपयोग किया जा सकता है।

अतिरिक्त आमदनी में होगी बढ़ोतरी

बता दें कि बायोगैस से बनाया गया सैलरी यानी बचा हुआ अपशिष्ट पदार्थ जिसको किसान अपने खेत में जैविक खाद की तरह इस्तेमाल कर पाएंगे या फिर इसके नजदीकी किसानों को बेचा भी जा सकता हैं। जिसके चलते अतिरिक्त आमदनी का साधन प्राप्त होगा और किसानों की आत्मनिर्भरता में भी बढ़ोतरी होगा।

गौशाला में लगाया जाएगा बड़े स्तर पर प्लांट

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की ओर से दिया गया जानकारी के मुताबिक यूपी राज्य में 43 चयनित गौशालाओं के अंदर बड़े स्तर पर बायोगैस व जैविक खाद प्लांट लगाया जाएगा। प्रत्येक गौशाला के द्वारा महीने में करीब 50 क्विंटल स्लरी का उत्पादन किया जाएगा। जिसकी वजह से जैविक खेती कर रहे किसानों को एक अमूल्य संसाधन साबित होने वाला है।

पर्यावरण संरक्षण में लाभदायक होगा

बता दें कि उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के ओएसडी श्री अनुराग श्रीवास्तव की ओर से कहा गया है कि यह योजना राज्य में रसोई गैस की खपत में कमी होने के साथ साथ घरेलू खर्चों में कम करने व पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देगा।

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