Organic Capsules Parali: किसानों को करना हो बस एक कैप्सूल का इस्तेमाल, और पराली बन जाएगा झट से अच्छी खाद
अभी भी किसान अपनी फसल कटाई होने पर पराली जला रहे हैं। जिसकी वजह से भारी वायु प्रदूषण देखने को मिलता है। जिसके चलते आम लोगों के अलावा विशेषज्ञ को वायु प्रदूषण की वजह से परेशान और चिंतित बन जाता है। परंतु इसी पराली को लेकर 1 प्रयोग किया जा सकता जिसकी मदद से आगामी फसल में अच्छी मात्रा में पोषण, और जमीन को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है।
Organic Capsules Parali
अगर इसका प्रयोग सही से किया जा भी आवश्यक होता है जिससे अधिक फायदा हो सके। पराली जलाने को लेकर कई राज्य सरकार की तरफ से बैन लगाया गया। ऐसे में आइए जानते हैं किसान किस प्रकार से पराली को सही तरीके से प्रबन्ध कर सकते हैं।
ऑर्गेनिक कैप्सूल से हो सकता है बड़ा काम
किसानों को पराली से निपटने को लेकर विशेषज्ञों के द्वारा 1 आसान वेस्ट डी कंपोजर विकल्प के लिए बताया गया है। और इस विकल्प में 1 आर्गेनिक कैप्सूल का इस्तेमाल के लिए मिलेगा। जिसके चलते किसानों को अपनी भूमि में पराली जलाने की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि यह अधिक तेजी के साथ खाद बनाने में मदद करता है। इस प्रकार की प्रक्रिया के रूप में बैक्टीरिया व फंगस पराली को गलाया जाता है। वहीं ऑर्गेनिक खाद में बदलाव करता है। जिसका तौर पर लाभदायक रह सकता है। इस प्रकार की तकनीक के इस्तेमाल से केवल पर्यावरण में ही लाभ नहीं होता बल्कि इसके अलावा मिट्टी के उर्वरता में भी वृद्धि करता है।
कहां पर प्राप्त करें ये कैप्सूल
अब किसानों के मन में एक बड़ा सवाला है कि आखिर यह कैप्सूल कहां पर मिल सकता है तो उनके लिए बता दें कि यह कैप्सूल को किसान अपने राज्य के अनुसार कृषि विभाग से ले सकते है। जो कि बीज भंडार में प्राप्त होगा। और किसानों को इस तरह के कैप्सूल को वेस्ट डी कंपोजर के रूप में फ्री में दिया जा रहा है।
किसानों को इस कैप्सूल की मदद से पराली को खाद में बदलाव कर सकते हैं। वही इस तरीके से जमीन की उर्वरकता को भी बढ़ावा जा सकता है। किसान पराली को खाद में बदलाव करने के साथ-साथ इसका उपयोग से केवल अच्छी खाद के रूप में ही नहीं है इसके साथ भूसा के लिए बनाकर पशुओं के लिए सही कीमत पर बेचा जा सकता है।
किसान करें पराली का सही तरीके से प्रबंधन
किसान पराली का मल्चिंग में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी वजह से गर्मी के मौसम में फसलों का बचाव के साथ-साथ जमीन में नमी को सही से बनाया जा सकता है। किसानों को अपनी फसल की सही समय पर बिजाई किया जा सके इसके लिए कम समय में पराली का प्रबंधन करना चाहिए।
वहीं भूमि में बैक्टीरिया पराली जलाने पर समाप्त हो जाता है। और मिट्टी की उर्वरकता कम होती है। इसी तरह राज्यों की सरकारों के द्वारा किसानों को पराली जलाने पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
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