Mustard Market Trend: सरसों के भाव में ईरान – इजराइल के बीच तनाव से कितना होगा असर, क्या सरसों भाव में तेजी आएगी या नहीं

Mustard Market Trend: सरसों के भाव में ईरान - इजराइल के बीच तनाव से कितना होगा असर, क्या सरसों भाव में तेजी आएगी या नहीं

Sarso Rate: बीते हफ्ते सोमवार को जयपुर सरसों कंडीशन रेट 6675 से लेकर 6700 रुपए दर्ज हुआ। जो कि सप्ताह के अंतिम दिन शनिवार को 6700 रुपए प्रति क्विंटल यानी कीमत में कोई अधिक बदलाव नहीं हुआ है। वही इसके अलावा कई मंडी में सरसों के भाव 100 रुपए प्रति क्विंटल तक तेज हुआ है।

Mustard Market Trend (सरसों मार्केट ट्रेंड)

बीते हफ्ते के दौरान अंतराष्ट्रीय बाजार में आई मजबूती की वजह से सरसो कीमत में भी भी रिकवरी आई है। वहीं ईरान -इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल में बढ़त बनाई। कच्चे तेल में उछाल से विदेशी खाद्य तेलों में भी तेजी देखने को मिला। सरसो तेल और खत में ग्राहकी सुस्त रही जिससे घट बढ़ के साथ सिमित दायरे में रहे हैं।

ईरान – इजराइल के बीच तनाव से सरसो पर क्या प्रभाव?

खाड़ी देशों के बीच हुए तनाव से कच्चे तेल की किल्लत पैदा होगी। कच्चे तेल में उछाल और माल वाहक जहाजों की आवाजाही रुकने से तेलों की कीमतों में भी उछाल दिखाई देगा।

खल की घरेलू मांग सुस्त लेकिन निर्यात मांग सुधरने की उम्मीद से इसमें भी आगे मजबूती की उम्मीद हैं।वहीं जयपुर कच्ची घानी अनुमान लक्ष्य 1500 को आजमाने की पूरी कोशिश करेगा। इरान-इजराइल के बीच तनाव का सकारात्मक प्रभाव सरसो तेल और खल में दिखेगा।

सरसो रेट में आगे कितनी तेजी-मंदी ?

सरसो की सिमित सप्लाई और अंतराष्ट्रीय स्तर पर तनाव से सरसो में आगे भी बढ़त जारी रहेगी। जयपुर सरसो अपने पहले लक्ष्य 6850 की और बढ़ेगा जिसके ऊपर टिकने पर 7150 तक कोई रूकावट नहीं। सरकारी एजेंसियों के पास सरसो स्टॉक सिमित है। वहीं एजेंसियां भाव घटाकर बेचने से बच रहे।सरसो का फंडामेटल पहले ही मजबूत है और उस पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर युदध के तनाव के चलते इसमें शार्ट टर्म में 150 से लेकर 200 रुपये और लम्बी अवधि में 400 रुपये तक की तेजी की संभव है। व्यापार अपने विवेक से निर्णय लें कर करें।

 

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Conclusion:- आज हमने आपको बताया Mustard Market Trend: सरसों के भाव में ईरान – इजराइल के बीच तनाव से कितना होगा असर, क्या सरसों भाव में तेजी आएगी या नहीं। व्यापारी या फिर किसान अपना व्यापार अपने विवेक से निर्णय करें। क्योंकि किसी भी तरह की फसल में तेजी या फिर मंदी सरकार के द्वारा किए गए फैसले, मौसम, आवक एवं मांग पर निर्भर करता है। व्यापार में कोई हानि के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

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