देशभर में गेहूं की फसल पकाने के बाद कटाई का कार्य तेजी के साथ चल रहा है हालांकि कुछ हिस्सों में अभी भी गेहूं की कटाई आरंभ होना बाकी जैसे ही गेहूं की कटाई का कार्य पूरा होगा और खेत खाली होने के पश्चात किसान अपने खेत में मूंग की बुवाई करने से उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है।
Mung Top 10 Variety
बता दे कि किसानों के द्वारा बीते कुछ सालों में गर्मी के इस सीजन में रेशम कालीन मूंग की खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है जिससे उन्हें काफी आर्थिक लाभ पहुंचता है। क्योंकि इस समय के दौरान मूंग का खेती करना काफी उपयुक्त माना जा रहा है। इस अवधि के दौरान मूंग की खेती करना किसानों के लिए प्राकृतिक आपदा जिसमें बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़ या फिर सुखे आदि की समस्या से राहत मिल सकता है। इस तरह किसान अपनी भूमि में इस समय के दौरान मूंग का खेती कर अच्छा फायदा उठा सकते हैं मूंग का बाजार में मांग भी अच्छा रहता है जिससे उन्हें कीमत भी अच्छा प्राप्त होगा।
गर्मी के मौसम में बेस्ट 10 मूंग की किस्में
किसानों को किसी भी फसल में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो इसके लिए उन्नत किस्म का चुनाव करना बहुत जरूरी हो जाता है क्योंकि उन्नत किस्म के बीज से कीट रोग का प्रकोप कम होने के अलावा उत्पादन भी बेहतर मिलता है। जानकारी के लिए बता दें कि किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई करने का सही समय की बात करें तो 10 मार्च से लेकर 10 अप्रैल तक रहता है।
इस तरह जो भी किसान मूंग की बुवाई समय पर करना पसंद करते हैं उनको 70 से लेकर 80 दिन में मूंग की फसल तैयार होने वाली किस्म के विकल्प को अपनाना चाहिए। इसके अलावा वे किसान जो मूंग की खेती के लिए बाय देरी से करने वाले हैं उनको 60 से लेकर 65 दिन में तैयार होने वाले किस्म के बीच का चुनाव करना बेहतर रहेगा। किसानों को मूंग की खेती में बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्म जो की निम्नलिखित नीचे दिए गए हैं।
मूंग का किस्म पूसा 1431
Mung Variety Pusa 1431 Details: मूंग की खेती के लिए पूसा 1431 किस्म ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म जिसमें प्रति हैक्टेयर 12 से लेकर 14 क्विंटल का उत्पादन लिया जा सकता है। इस मूंग की किस्म में बीज का आकर बड़ा, गोल व काला रंग का होता है। मूंग का यह किस्म पकने में 56 से लेकर 66 दिन का समय लगता है।
मूंग का किस्म पूसा 9531
Mung Bean Variety Pusa 9531 Details: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के द्वारा मूंग की खेती के लिए मूंग किस्म पूसा 9531 को विकसित किया। जिसमें पीत चित्ती रोग के प्रतिरोधी जो कि मध्य भारत के क्षेत्र के उपयुक्त माना गया है। मूंग का यह किस्म प्रति हेक्टेयर उत्पादन औसत 9 क्विंटल प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म को तैयार होने में करीब 60 दिन लगता है।
मूंग का किस्म पूसा रत्न
Mung Bean Variety Pusa Ratna: बता दे की आईसीआर की ओर से मूंग का किम पोश रतन को विकसित किया जिसमें पीला मोजेक वायरस को लेकर सहनशील माना जाता हैं। इस मूंग की किस्म को पकड़ तैयार होने में 65 से 70 दिन का समय लगेगा वही इसके उपज की बात करें तो यह तकरीबन 12 से 13 क्विंटल तक हो सकता है मूंग का यह किम दिल्ली व पंजाब एनसीआर के क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है
मूंग का किस्म पूसा 672
Mung Variety Pusa 672 Details: मूंग की खेती को लेकर यह किस्म पकने वाले समय की बात करें तो यह 60 से लेकर 80 दिन का रहता है। इस मूंग किस्म में प्रति हेक्टेयर तकरीबन 8 से लेकर 10 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है।
मूंग का किस्म पूसा विशाल
Mung Bean Variety Pusa Vishal: इस मूंग के किस्म आईएआरआई के द्वारा विकसित किया जिसमें दाना ठोस व चमकदार रहता है। पीला मोजेक वायरस को लेकर यह किस्म प्रति प्रतिरोधी माना गया है। इस को बुवाई करने के बाद प्रति हेक्टेयर उत्पादन तकरीबन 12 से लेकर 13 क्विंटल हो सकता है। वही मूंग की यह किस्म गर्मियों के दौरान 60 से लेकर 65 दिन में तैयार हो जाएगा।
मूंग का किस्म KPM 409-4 (हीरा)
Mung Variety KPM 409-4 (Heera) Details: मूंग की खेती के लिए आईआईपीआर कानपुर की ओर से केपीएम 409–4 (हीरा) मूंग की किस्म को विकसित किया जो कि एक बहुमुखी किस्म जिसका उत्पादन वसंत व ग्रीष्म दोनों मौसम में बेहतर उपज प्राप्त होती है। मूंग की खेती में आने वाले कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी जिसमें बहुत कम रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। मूंग का यह किस्म पैदावार 8 से लेकर 10 क्विंटल लिया जा सकता है। वहीं इसके पकने के समय 65 से 70 दिन का होता है।
मूंग का किस्म वसुधा (आई.पी.एम. 312-20) का डिटेल
Mung Variety Vasudha (IPM 312-20): मूंग की इस किस्म को भी आईआईपीआर कानपुर के द्वारा विकसित किया जिसमें लीफ क्रिंकल, सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट व लीफ कर्ल रोगों को प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता है। यह बुवाई के 65 से लेकर 80 दिन तक का पकने में समय लगता है। इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 8 से लेकर 10 क्विंटल तक का है।
मूंग का वैरायटी सूर्या (आई.पी.एम. 512-1)
Moong Variety Surya (IPM 512-1) Details: मूंग की इस किस्म को वर्ष 2020 के दौरान आईआईपीआर कानपुर की ओर से विकसित किया गया। इस किस्म को 60 से लेकर 65 दिन तक तैयार हो जाता है और इसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन तकरीबन 12 से लेकर 13 क्विंटल तक होता है। मूंग का यह वैरायटी मुख्य रूप से यूपी के लिए उपयुक्त और इस किस्म को सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट और एन्थ्रेक्नोज रोग के प्रति प्रतिरोधी माना जाता है।
मूंग का किस्म कनिका (आई.पी.एम. 302-2)
Mung Bean Variety Kanika (IPM 302-2): मूंग की कनिका किस्म को आईसीएआर–आईआईपीआर की तरह से विकसित किया गया जिसमें पीला मोजेक रोग को लेकर अधिक प्रतिरोधी होता है। मूंग का यह किस्म प्रति हेक्टेयर उत्पादन 12 से लेकर 14 क्विंटल तक लिया जा सकता है। इस किस्म के दाना हरे रंग के बड़े आकर्षक व चमकदार होता है।
मूंग का किस्म आईपीएम 205–7 (विराट)
Mung bean variety IPM 205–7 (Virat): मूंग का यह किस्म साल 2014 में आईआईपीआर कानपुर की ओर से विकसित हुआ। जिसमें प्रति हैक्टेयर पैदावार 10 से लेकर 11 क्विंटल तक पहुंच सकता है। इसका बुवाई के 52 से लेकर 56 दिन में पककर तैयार किया जा सकता है। यह किस्म पीला मोजेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी होने के साथ-साथ इसमें फलियां मोटा और लंबी हरे रंग की रहती है। इस मूंग की किस्म को यूपी, पंजाब, हरियाणा एमपी, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ राज्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।