MP Farmers Crops Advice: किसानों ने किया जायद मूंग फसल की बंपर बुवाई, कृषि एक्‍सपर्ट का किसानों के लिए जरूरी सलाह

MP Farmers Crops Advice: किसानों ने किया जायद मूंग फसल की बंपर बुवाई, कृषि एक्‍सपर्ट का किसानों के लिए जरूरी सलाह

अबकी बार किसानों के द्वारा बड़े स्तर में किसानों ने मऊ की फसल को बुवाई किया गया। और मौजूदा समय में मुंह की फसल में किसान खाद व पानी दिया जा रहा। इसी बीच MP प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को जरूरी हिदायत दिया गया कि मूंग की फसल जल्द पकाने को लेकर खरपतवार नाशक ग्लाइफोसेट व पैराक्वेट का अधिक उपयोग न किया जाए।

MP Farmers Crops Advice

इसके इस्तेमाल से फसल को कम समय में पकाया जा सकता है परंतु इसके चलते उत्पादित मूंग की फसल खाने के लायक न होने के साथ-साथ वातावरण में भी बुरा असर होता है। और यह केमिकल दवा मूंग की फसल जल्द पकने से मूंग खाने के लायक नहीं रहता और लोगों के सेहत पर काफी गंभीर असर पड़ता है। जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा जिसमें से मुख्य रूप से कैंसर जैसी बीमारी भी शामिल है।

किसानों सलाह दिया जा रहा

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीते कुछ वर्षों के दौरान यह देखने को मिला है कि राज्य में मूंग फसल को समय में पकाने को लेकर इन खरपतवार नाशकों के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी हुई है। जिसकी वजह से प्रदेश सरकार के मंत्री, कृषि एक्‍सर्ट व विभ‍िन्‍न कृषि कॉलेज के प्रोफेसर्स की तरफ से अबकी बार इन दवाओं के उपयोग को लेकर किसानों को न उपयोग के लिए समझाया जा रहा है।

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इसी कड़ी में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के ग्वालियर व जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वाविद्यालय, जबलपुर के वाइस चांसलर के पद पर रहने वाले प्रोफेसर डॉ. विजय सिंह तोमर की ओर से जानकारी किया कि इसके लगातार उपयोग से मिट्टी में
उपयोगी सूक्ष्म जीव खत्म होने के साथ साथ प्राकृतिक उर्वरता भी कम होती है।

भू-जल स्‍तर में जायद की मूंग फसल से कमी

उनकी ओर से ये भी कहा गया है कि ग्रीष्मकालीन मूंग यानि कि जायद सीजन में की जाने वाली मूंग का खेती को पकाने में 3 से लेकर 4 पानी कम से कम आवश्यकता होती है। जिसकी वजह से जमीन का भू-जल स्तर कम हो रहा है। उनके द्वारा अधिक टिकाऊ है पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को किसानों को अपनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि मूंग की ग्रीष्मकालीन फसल में काम खरपतवार व कीटनाशक का उपयोग न बराबर ही करें क्योंकि यह प्राकृतिक तौर पर जाता है।

मुंग की फसल खरीफ सीजन में 10 वर्ष पहले उगाया जाता था

बता दे की प्रोफेसर विजय कुमार तोमर की ओर से बताया गया कि मौजूदा समय में किसान जायद सीजन में भी मूंग का खेती बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। वहीं बीते 10 वर्षों से पहले मूंग का खेती खरीफ सीजन में किया जाता था। उसे समय के दौरान यह पर्यावरण के अनुकूल होने व बारिश से कम सिंचाई की आवश्यकता में भी पूरा हो जाता था

जिसकी वजह से पानी की आवश्यकता और मूंग की फसल जमीन में उगने से जड़ों में नाइट्रोजन फिक्स होकर बैक्टीरिया की मौजूदगी में फसल मिट्टी की उर्वरकता बढ़ता है

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उनके द्वारा बताया गया कि मौजूदा समय में मूंग की खेती का क्षेत्रफल 3 गुना अधिक हो गया है। और इसका फसल गर्मियों में लगाए जाने की वजह से भू जल में भी आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल पानी से नीचे गिर रहा है। मध्य प्रदेश राज्य में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल तीसरे विकल्प के तौर पर विदिशा, नर्मदा पुरम, जबलपुर, हरदा, सीहोर, देवास, बैतूल, रायसेन और नरसिंहपुर के अलावा कई जिलों में बन चुकी है।

 

 

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