Dhan Variety Kamla DST Rice-1: भारतीय वैज्ञानिकों का नया आविष्कार, दुनिया में सबसे पहले जीनोम तकनीक से धान की 2 किस्म तैयार, कम पानी, समय में ज्यादा पैदावार
हमारे देश भारत में पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, एमपी, पश्चिमी बंगाल सहित कई राज्यों में खरीफ सीजन में धान की खेती बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। लेकिन इसकी खेती में किसानों को कई तरह की दिक्कत है। जिसमें देश के कई हिस्सों में भूजल स्तर गिर रहा है। देश में खेती में सुधार को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है।
Dhan Variety Kamla DST Rice-1
इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के द्वारा 2 नया धान का किस्म जीनोम एडिटिंग (संपादित) को तैयार किया गया है। जिसकी मुख्य खासियत कम पानी, कम खर्च व कम समय में धान से 30 प्रतिशत ज्यादा पैदावार होगा। वही इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को कम करने में सहायता प्राप्त होगा।
धान की नई की 2 नया किस्म जिनका नाम कमला (डीआरआर-100) व डीएसटी राइस-1 का रविवार के दिन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से जारी किया गया है।
दुनिया में जीनोम संपादित धान से चावल की किस्में विकसित किए जाने वाला भारत प्रथम देश बन गया है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से कृषि के क्षेत्र में यह शोध भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया है। उनके ओर से बताया गया कि धान की इन 2 किस्मों से राष्ट्र को दूसरी हरित क्रांति को बढ़ने में अग्रणी भूमिका रहेगी। ओर ये किस्में किसानों को जल्द प्राप्त करवाया जाएगा।
धान किस्म जीनोम तकनीक से विकसित, जलवायु परिवर्तन में मददगार
भारत देश में विश्व की पहले दो जीनोम तकनीक से विकसित की गई धान की किस्म का कार्य वैज्ञानिक शोध के चलते एक नई शुरुआत हुआ है। इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से मूल डीएनए में सूक्ष्म बदलाव करते हुए फसलों का नई किस्म को विकसित किया गया। केंद्र सरकार के जैविक सुरक्षा नियमों के तहत सामान्य फसलों में ऐसा परिवर्तन करना मंजूरी प्राप्त है।
धन की इन दोनों ही किस्म को तैयार करने के लिए वर्ष 2018 से आईसीएआर कार्य कर रहा था और इन धान की दोनों ही किस्म देश के उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र आदि राज्यों में परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किया गया है।
सिंचाई में आएगा कमी, उत्पादन में होगा 45 लाख टन बढ़ोतरी
देश के इन राज्यों में इन किस्म के जरिए खेती में तकरीबन 45 लाख टन से भी ज्यादा धान का पैदावार होगा। इन किस्म के चलते आगामी फसल में बुवाई समय पर हो पाएगा क्योंकि पकाने में कम समय लगता है वहीं सिंचाई के लिए 3 पानी और तकरीबन 20% तक ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में भी कमी होगा।
धान की किस्म कमला (डीआरआर-100) व डीएसटी राइस-1 विकसित
बता दें कि आईसीएआर के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (हैदराबाद) के द्वारा बारीक दाने वाली किस्म सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) में से कमला किस्म को जीनोम तकनीक के माध्यम से तैयार किया गया है। जिसका सांबा महसूरी के मुकाबले में दानों की संख्या में बढ़ोतरी, कम पानी की आवश्यकता और 20 दिन पहले फसल तैयार हो जाएगा।
कमला का प्रति हेक्टेयर में परीक्षण के दौरान औसत उत्पादन 5.3 टन मिला है। जो कि तकरीबन सांबा महसूरी से 30%% ज्यादा है। अगर अनुकूल परिस्थितियों रहती है तो 30% तक वृद्धि हो सकती है।
पूसा डीएसटी राइस-1 किन किन किसानों के लिए उपयुक्त
धान की एक और किस्म पूसा डीएसटी राइस-1 जो आईसीएआर (पूसा, नई दिल्ली) के द्वारा तैयार किया गया। इस वैरायटी का दाना लंबा व बारीक रहने वाला है। यह मूल किस्म एमटीयू 1010 के मुकाबले में 20% ज्यादा उपज होगा। यह किस्म देश के दक्षिण भारत में रबी सीजन के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है।
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