Dhan Ki Kheti: मई का महीना अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। वहीं किसानों की ओर से अपने खेतों में धान की फसल को लगाने को लेकर तैयारी शुरू कर दिया है। हमारे देश भारत में अलग अलग राज्यों में धान फसल का खेती बड़े स्तर पर किया जाता है।
परंतु इस दौरान अलग अलग हिस्सों में अपनी अलग चुनौतियां भी रहती हैं। जिसमें किसानों को बाढ़, पानी की कमी वाले क्षेत्र हैं। वही अलग अलग हिस्सों के अनुसार जलवायु व मिट्टी भी अलग होती है। ऐसे में किसानों को अपनी भूमि की मिट्टी के अलावा जलवायु के मुताबिक धान की सही किस्म का चयन करना होगा।
Dhan Ki Variety Details
देश के पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान व अन्य राज्यों में धान की खेती बाड़ी स्तर पर की जाती है और धान की फसल से किसानों को अच्छा लाभ भी मिलता है। लेकिन किसानों को धान की फसल में अच्छी होने के अलावा कई बार सुख का सामना करना पड़ता है तो कहीं पर बाढ़ का सामना होता है। इसके अलावा फसल में पानी की कमी से भी उत्पादन में गिरावट आती है।
ऐसे में वे छात्र जहां पर बाढ़ से प्रभावित इलाके हैं वहां पर किसानों को मौजूदा जलरोधी किस्म का चुनाव करना चाहिए। ताकि उनको बाढ़ की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन मिल पाए। ऐसे में किसानों को किन-किन किस्म से खेती कर सकते हैं और इसमें क्या-क्या खासियत रहेगी आइए जानते हैं…
बाढ़ वाले क्षेत्र में धान की किस्म
धान किस्म सह्याद्रि पंचमुखी (Sahyadri Panchmukhi Variety Details) :- यह वैरायटी को वर्ष 2019 के दौरान आंचलिक कृषि एवं बागवानी अनुसंधान के द्वारा तैयार किया गया धान किस्म हैं।धान वैरायटी सह्याद्रि पंचमुखी एक बाढ़ रोधी किस्म जो कि एक साथ 8 से लेकर 10 दिनों तक बाढ़ को झेल सकती है। यानी इस को ज्यादा पानी की जरूरत होती है।
यह वैरायटी ज्यादा पानी होने के बावजूद पानी में पौधे गलते नहीं, वही इसके साथ ही चावल की क्वालिटी कोई असर नहीं होता है। इस वैरायटी में अन्य किस्म की तुलना में 26 प्रतिशत तक ज्यादा पैदावार वाली है। किसान इसकी रोपाई किए जाने के पश्चात तैयार होने में 130 दिन से लेकर 135 दिन का समय लगता है।
धान किस्म सवर्णा सब-1 किस्म (Swarna Sub 1 Variety) Details :– धान ये वैरायटी 14 दिन से लेकर 17 दिन तक पानी में डूबने के बाद भी खराब नहीं हो पाते हैं या नहीं यह भी बढ़ प्रतिरोधी किस्म है। धन की इस वैरायटी को कृषि विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश के द्वारा तैयार किया गया जो की एक तरह का बौनी किस्म है। धन की यह किस्म किसान सीधी और रोपाई दोनों ही तरीकों से कर सकते हैं, हालांकि इसमें रोपाई करने के बाद थोड़ा अधिक समय लगता है।
इस किस्म को सीधी बुवाई व रोपाई में पकने का समय क्रमशः 140 दिन व 145 दिन तक का है। बाढ़ प्रभावित वाले क्षेत्रों में धान की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर औसतन 1 से लेकर 2 टन तक ज्यादा फायदा होता है। वहीं इस वैरायटी में दाना माध्यम आकार के व पतले रहते हैं।
धान किस्म हीरा (Dhan Heera Variety Details) :- इस धान की वैरायटी को भागलपुर में स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा तैयार किया गया। जो की बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में धान की खेती के लिए विशेष किस्म है। यह वैरायटी बाढ़ वाले क्षेत्रों में पौधे 15 दिन तक डूबे होने के बाद भी खराब नहीं हो पाती। किसान इस धन की किस्म को लगाने पर 120 दिन में ही पककर तैयार हो जाएगा और अन्य किस्म से अधिक पैदावार मिलेगा।
बाढ़ में खेती के लिए और कौन कौन सी धान किस्म
हमारे द्वारा ऊपर बताई गई सभी धान की किस्म की तरह ही 2 और बाढ़ प्रतिरोधी किस्म है। जिनको असम कृषि अनुसंधान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। इन दोनों ही किस्म को बहादुर सब-1 (Bahadur Sub-1) व रंजीत सब-1 (Ranjit SAB-1) के नाम से जाना जाता है। ये दो वैरायटी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए उपयुक्त जोकि असम राज्य के अलग अलग हिस्सों में आने वाली बाढ़ से धान की फसल लगा सकते हैं।
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