हमारे देश में किसानों की आय के तौर पर सबसे अधिक उत्पादन व लाभकारी फसल में धान की फसल को माना जाता है। कई राज्यों में धान की फसल को लगाने का काम किसानों ने जारी कर दिया है।
किसानों को धान की खेती से अधिक उत्पादन की संभावना को ध्यान में रखते हुए अन्य फसल के मुकाबले में ज्यादा उत्पादन और अधिक लाभ को लेकर तैयारी शुरू हो चुका है।
लेकिन किसानों को धान की खेती में सबसे अधिक परेशानी होती हैं जिनमें पानी की सही समय व पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता होती है। इसी के तहत कृषि वैज्ञानिकों की ओर एक नया किस्म को विकसित किया गया है जिसकी वजह से इस किस्म को बगैर पानी के भी 20 से लेकर 25 दिन तक सही सलामत रह सकती है।
किसानों को लेकर इस धान की किस्म किसी वरदान से कम नहीं होगी। क्योंकि ये वैरायटी को किसान पहाड़ी क्षेत्रों में भी अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा। ऐसे में इस किस्म में क्या-क्या खासियत है कितना उत्पादन देगी जानते हैं पूरी डिटेल में…
Dhan IR-64 DRT-1 Variety Details
IR-64 DRT-1 की विशेषता: हमारे देश भारत में कई राज्यों में फसल सिंचाई के लिए पानी में कमी के साथ-साथ सुखाड़ की स्थिति बना हुआ है जिसके लिए सुखा रोधी किस्म को विकसित करना वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक हो गया। इसी को ध्यान में रखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय झारखंड की ओर से किस्म को तैयार किया गया।
यह वैरायटी कम पानी यानी सुखाड़ वाले क्षेत्र के साथ-साथ पहाड़ी वाले क्षेत्रों में बेहद उपयोगी मानी गई है। जब किसान इस फसल को सुखे की स्थिति में भी लगाया जाए तो यह धान का वैरायटी बगैर पानी के भी 20 दिन से लेकर 25 दिन तक सही सलामत खड़ा रह सकता है।
वही यह धान का वैरायटी अन्य के मुकाबले में पानी की कमी के चलते मुरझाता भी नहीं है और मर भी नहीं पाती। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस धान की किस्म में उत्पादन को लेकर बताया गया कि यह एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल वही एक एकड़ में 16 क्विंटल तक पैदावार दे सकता है।
धान वैरायटी IR-64 DRT-1 को किसान रोपाई कार्य पूरा होने के बाद पकने में 100 से लेकर 110 दिन का समय में तैयार होने वाली किस्म है। इसमें सूखे की सहने की क्षमता काफी ज्यादा है।
जल्द करें बिना देरी से नर्सरी तैयार
बता दे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के अलावा कई ऐसे राज्य जहां पर सुखाड़ वाली स्थिति के क्षेत्र में किसानों को पानी कम होने पर भी बढ़िया उत्पादन प्राप्त हो सके के लिए वैरायटी की तलाश किया जा रहा है। ऐसे में वे किसान धान IR-64 डीआरटी-1 वैरायटी की फसल की खेती करने हेतु खेत में नर्सरी लगाए जाने को लेकर तैयारियां को आरंभ करें।
वहीं इसके अलावा किसानों को नर्सरी में बीज का छिड़काव करने से पहले 1 मीटर की दूरी के मुताबिक फ्यूराडान 20 ग्राम डालने के बाद बीज को डालना चाहिए। बीच की नर्सरी में बीज डालने से पूर्व डाला गया फ्यूराडान का इस्तेमाल मिट्टी में होने वाले दीमक के साथ-साथ अन्य किट की रोकथाम के लिए किया जा सकता है