Dairy Unit Subsidy: पशुपालकों को लेना है गाय, भैंस पालकर सब्सिडी, सरकार की योजना में नई गाइडलाइन जारी
हमारे देश में केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से पशुपालन को लेकर बहुत सारी योजनाएं चलाया जा रहा है जिसका लाभ किसान या पशुपालक लाभ उठाकर अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश सरकार ने भी प्रदेश के पशुपालकों को गाय व भैंस पालने पर सब्सिडी का लाभ दे रही है। राज्य सरकार की ओर से पशुपालकों के द्वारा गए गाय या भैंस दोनों पालने पर सब्सिडी नहीं मिलेगा। इसके साथ ही पशुपालकों के पास एक ही ब्रीड का गाय या भैंस होना चाहिए। यानी कि उदाहरण के लिए बताएं तो गाय या भैंस अलग अलग ब्रीड का नहीं होना चाहिए।
Dairy Unit Subsidy
MP सरकार की ओर से इसको लेकर एक शर्तें रखा गया है एक यूनिट में एक ब्रीड होना चाहिए और पशुपालकों को आठ यूनिट तक फायदा मिल सकता है। इसके अलावा पशुओं को चेंज किया जा सकता है। और ब्रीड में भी बदलाव किया जा सके इसलिए छूट दिया गया है।
प्रदेश में इन लगाए जाने वाली हर इकाई को लेकर योजना में ने गाइडलाइन को पशुपालन विभाग की ओर से डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना में जारी किया गया। जिसमें हर यूनिट में कम से कम 25 दुधारू पशु रखना होगा।
प्रदेश के पशुपालकों को लेकर सरकार ने 1 यूनिट देशी गाय की लगाए जाने को लेकर लागत 36 लाख रुपए व संकर गाय-भैंस के यूनिट को लेकर लागत 42 लाख रुपए खर्च होगा। जिसको लेकर सरकार इन यूनिट पर होने वाले खर्च का सब्सिडी दिया जाएगा। जिसमें एसटी, एससी वर्ग को 33% व अन्य वर्ग को 25% का सब्सिडी दिया जाएगा।
कर्ज प्राप्त करने की क्या क्या शर्तें है?
योजना में शामिल होने वाले हितग्राहियों को न्यूनतम 3 वर्ष का कर्ज, इस समय सीमा के दौरान ब्याज नहीं देना पड़ेगा। जिसमें 7 वर्ष के दौरान कर्ज चुकाना होगा। वहीं 3 वर्ष से पहले कर्ज चुका सकेंगे।
योजना में जमीन की आवश्यकता होगी। ऐसे में आवेदक के पास पट्टे का भूमि है तो फिर उसका दस्तावेज सत्यापित किया होना आवश्यक है। वहीं जिनके पास फसल ऋण के दौरान नवीनीकरण करवाए गए है उनको सत्यापन से छूट मिलेगी।
योजना में शामिल शर्तें
- योजना का फायदा प्रत्येक वर्ग को दिया गया। जिसमें 1 आवेदक 1 यूनिट या फिर 8 यूनिट का फायदा उठाया जा सकता है।
- आवेदक इकाई लगाने में कम से कम 3.50 एकड़ भूमि आवश्यक है। इससे ज्यादा लाभ प्राप्त करने में हर इकाई के मान के अनुसार भूमि होना चाहिए। भूमि 1 ही तहसील में अलग अलग जगह पर हो सकता है।
- शामिल वाली भूमि है तो अन्य सभी मालिक का सहमति होना चाहिए।
- योजना में चयन प्रक्रिया पहले आओ, पहले पाओ के अनुसार होगा।
- योजना में सहकारी दुग्ध संघों और उनमें शामिल समितियों को दूध बेचने वाले को किसान को प्राथमिकता मिलेगी।
- देश में मूल देशी नस्ल जिसमे गिर, साहीवाल, रेड सिंधी व थारपारकर, संकर नस्ल में जर्सी, एचएफ और भैंस में मेहसाना, भदावरी, मुर्रा व सूरती खरीद पाएंगे।
- पशुपालन का प्रशिक्षण शासकीय संस्थान प्राप्त किया जाना आवश्यक, वहीं जिन किसानों ने यूजी व पीजी तक पढ़ाई किया है उनको प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं।
इस योजना में शामिल होने के लिए नए कई तरह के प्रावधान जिसके चलते प्रत्येक वर्ग के हितग्राहियों को शामिल करने की लेकर किया गया है। योजना में केवल उद्देश्य सब्सिडी देना नहीं है बल्कि एमपी राज्य में जैविक व प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने की समग्र रूप रेखा है। – लखन पटेल, राज्यमंत्री
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