आलू के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी बता दे की हरियाणा प्रदेश के जिन किसानों के द्वारा आलू की फसल की खेती किया जाता है उनको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से बड़ी सौगात दी है। दरअसल सीएम की ओर से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की उद्देश्य से अपने वादे को दोहराते हुए ऐलान किया है जिसमें प्रदेश की आलू की खेती करने वाले किसान को भावांतर भरपाई योजना में भी लाभ के पात्र होंगे।
Bhavantar Compensation Scheme 2025
मुख्यमंत्री की ओर से किए गए इस फैसले के बाद किसानों को उनकी फसल यानी आलू की कीमत में आने वाली उतार-चढ़ाव से बचाव होगा और उनको जरूरी वित्तीय मदद भी मिलेगा यानी सरकार का इस योजना का ऐलान से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार की ओर से किया जाएगा।
हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से इस मसले पर ध्यान देते हुए बताया कि किसानों की चिंताओं को दूर करने की उद्देश्य से सरकार के द्वारा प्रॉमिस को दर्शाता है। बता दें कि सरकार के प्रवक्ता की ओर से कहे मुताबिक इस भावांतर भरपाई योजना के चलते वर्ष 2023/24 में 46.34 करोड रुपए बकाया राशि किसानों को सफलतापूर्वक दिया गया।
योजना में कितना फसल शामिल
हरियाणा प्रदेश सरकार की ओर से भावांतर भरपाई योजना के चलते किसानों को उनके बाजार में कीमत फसल का गिरता है तो उनको होने वाले वित्तीय हानि से बचाव के लिए एक अनूठी पहल के रूप में आरंभ किया गया। हरियाणा प्रदेश की ओर से आरंभ की गई इस योजना में अब तक कल 21 बागवानी फसलों को शामिल किया गया। जिसमें 14 सब्जी की फसल, 2 मसाला और 5 फल की फसल शामिल है।
अभी तक कितने किसानों को हुआ सहायता
हरियाणा राज्य में आरंभ की गई भावांतर भरपाई योजना में अभी तक 315614 किसानों को योजना के माध्यम से 702220 एकड़ भूमि का रजिस्ट्रेशन हुआ है। जिसमें से अभी तक 110 करोड रुपए से भी ज्यादा की मदद 24385 किसानों को किया गया। इसके साथ ही किसानों को यह भी सलाह दिया गया है कि अगर आलू की फसल की कीमत गिरता है तो फसल को कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है ताकि उनकी उपज के साथ-साथ उनकी इनकम को सुरक्षित किया जा सके।
कहां पर करें आवेदन
हरियाणा प्रदेश के किसानों को अपने आलू की फसल बोई है उन किसान को योजना में लाभ लेना चाहते हैं तो उनको अपनी फसल का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
इसके बाद बागवानी विभाग की तरफ से विवरण का वेरिफिकेशन होगा और बाजार में ले जा रहे फसल को वहां पर गेट पास जारी होगा। इसके बाद वेरीफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान जे फॉर्म मिलेगा और योजना में खेत के मालिक या पट्टेदार या बटाई दार सभी शामिल हो सकते हैं।
आखिर भावांतर योजना क्या है
किसान की फसल में होने वाले हानि को कम करने के उद्देश्य से आरंभ की गई योजना भावांतर योजना जिसमें एक फार्मूला के तौर पर देखा गया है। बता दे कि किसानों के द्वारा अपनी भूमि में बोई जाने वाली फसल को बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम पर बिक्री होता है तो सरकार क्षतिपूर्ति की व्यवस्था किया जाता है।
अब अगर आपको सरल भाषा में बताएं तो मान लीजिए किस की गेहूं की कीमत 3000 रुपए प्रति क्विंटल है और उसको बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी रेट से कम होकर 2700 रुपए प्रति क्विंटल पर बेचा जाता है तो फिर भावांतर योजना की चलते किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य व बाजार के भाव में अंतर का भुगतान किया जाता है।
इसके अलावा कीमत में अधिक ज्यादा कमजोर होने पर सरकार भुगतान की राशि खुद की ओर से तय करती है। जिसके लिए दो राज्यों के कीमत का आकलन को किया जाता है।