Top 5 Arhar varieties: किसान करें मॉनसून सीजन के दौरान इन 5 अरहर किस्म के साथ खेती, मिल जाएगा बंपर उत्पादन
हमारे देश में अरहर की फसल को कई राज्यों में किया जाता है और खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली इस प्रमुख दलहनी फसल में से एक है और हमारे देश में अरहर की खेती को अन्य नाम से भी पुकारा जाता है जिसमें तुअर, अरहर, पिजन व रेड ग्राम शामिल है। अगर किसान इसकी खेती को सही समय वह तरीके से किया जाए तो या लाभदायक रहती है परंतु अरहर की खेती करने को लेकर किसानों को कई तरह की समस्याएं भी रहती हैं। जिसमें सबसे पहले इसकी खेती के लिए किस किस्म के साथ खेती करना चाहिए। जिससे किसानों को कम समय में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सके। व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े 👉 यहां पर क्लिक करें
Top 5 Arhar varieties
अरहर खेती किए जाने को लेकर वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को लेकर अरहर की कुछ ऐसी ही किस्म को विकसित किया गया है। जिससे किसानों को कम समय में तैयार हो जाएगा और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त होगा। आज हम आपको इस रिपोर्ट में किसानों को अरहर की पांच किस्म के बारे में जानकारी देंगे, जिससे बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छी मानी जाती हैं।
अरहर की 5 अच्छी किस्में
अरहर पूसा -16 किस्म :- यह वैरायटी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के द्वारा विकसित किया गया। किसान इस अरहर की किस्म को अगेती खेती कर सकते हैं और इसके लिए जुलाई महीने में ही बुवाई कर सकते हैं। इस किस्म को पकाने में 120 दिन लगता है वहीं इसमें पौधों की लंबाई छोटी व दाना का आकार मोटा होता है। इसकी उत्पादन की बात करें तो प्रति हेक्टेयर औसत 1 टन तक रह सकता है।
अरहर की किस्म TS-3R:- यह वैरायटी को भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की ओर से विकसित जो कि 1 एक पछेती किस्म यानी किसानों को मॉनसून आने पर कर सकते हैं। इस किस्म में दाने मोटे व पौधों का लंबाई छोटी होती है। इस किस्म के पकने में समान रूप से परिपक्व होने के साथ साथ 150 दिन से 170 दिन में तैयार हो जाएगा। प्रति हेक्टेयर उत्पादन औसत 1 टन और बांझपन मोज़ेक व विल्ट की तरह कीटो को लेकर प्रतिरोधी है।
अरहर पूसा 992 किस्म:- यह अरहर किस्म 2005 में तैयार किया जो कि एक जल्द तैयार हो जाएगी। इस किस्म में दाने का रंग भूरा जो कि मोटा व गोल होता है। इस किस्म की बुवाई हरियाणा, राजस्थान, पंजाब व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किया जा सकता है। इसमें उपज के बारे में बात करें तो यह प्रति एकड़ 6 क्विंटल और पकने में करीब 120 दिन से 140 दिन तक लगता है।
अरहर किस्म आईपीए 203:- तुवर की यह किस्म में खासियत है कि इसमें बीमारियां नहीं आती हैं। वहीं इसके बुवाई करने के बाद किसानों को कई तरह के रोगों से बचाव हो सकता है। इस किस्म में प्रति हेक्टेयर औसत उपज 18 क्विंटल से 20 क्विंटल तक रहता है। इस किस्म को किसान अपने खेतों में जून महीने के भीतर बुवाई करना चाहिए।
अरहर किस्म आईसीपीएल 87:- यह वैरायटी भी कम लंबाई, फलियां का आकार मोटा, लंबा होता है। ये एक साथ पकने के साथ फलियां गुच्छों में लगता है। उपज की बात करें तो इसका प्रति हेक्टेयर औसत 15 क्विंटल से 20 क्विंटल तक होता है।
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