Infestation Crop Pest: किसान अभी से करें फसलों की सही देखभाल, बढ़ सकता हैं कातरा कीट का प्रकोप, जानें कृषि विभाग की जरूरी सलाह
मौजूदा समय के दौरान किसानों के द्वारा खरीफ फसल बुवाई के साथ-साथ जो पहले फसल बोया गया है। उसमें खरपतवार को खेत में से निकला जा रहा है। मौजूदा समय के दौरान मौसम में अधिक नमी होने के साथ-साथ बादल छाए रहने से के कारण फसलों में कई तरह की किट व रोक का प्रकोप बढ़ने की असर बना रहता है। व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े 👉 यहां पर क्लिक करें
Infestation Crop Pest
ऐसे में किसानों को अपनी फसल में बेहतर उत्पादन प्राप्त करने हेतु जरूरी जानकारी के साथ-साथ समय पर कीट व रोग की पहचान कर उसकी रोकथाम करना चाहिए। इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से भी किसानों को समय-समय पर कीट व रोगों के नियंत्रण किए जाने को लेकर सलाह दिया जा रहा है। बता दे कि अब इसी कड़ी में राजस्थान प्रदेश में कृषि विभाग अजमेर की ओर से खाद्यान्न एवं दलहनी फसलों पर कातरा कीट प्रकोप बढ़ने की संभावना जताई गई है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक संजय तनेजा के अनुसार मानसून बारिश होने के पश्चात कातरे के पतंगों का भूमि से बाहर निकलना आरंभ हो जाता है। इन पतंग को किसान सही समय पर खत्म कर दिया जाए तो फिर फसल में कातरा के लट के प्रकोप कम हो सकता है। इन कातरा कीट शिशु अवस्था के दौरान फसल के पत्तों का निचला सतह को खुरेचता है। वही इसके पश्चात पत्तों का टूटा हुआ धब्बे पतले पपीते के समान नजर आता है। यह पूरे तरीके से विकसित लार्वा जो कि पूरे पत्ते, फूल व बढ़ते फलों को खा सकता है।
कातरा कीट का नियंत्रण किसान किस प्रकार से कर सकते हैं?
बता दें कि कृषि अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कातरा कीट नियंत्रण करने के उपाय को यांत्रिक विधि के अनुसार अंडों को संग्रह कर, लार्वा को हाथ के द्वारा और लाइट ट्रैप की इस्तेमाल से वयस्क पतंगों को नष्ट कर सकते हैं।
वही इसके अलावा जहां पर बंजर जमीन या फिर चारागाह में उग चुके जंगली पौधों या फिर खरपतवारों से आने वाले लट खेतों की तरफ फसल में रोकने को लेकर गमन की दिशा में खाइयाँ खोदकर का कार्य कर इसके प्रकोप को रोक सकते हैं।
इसी तरह अगर रासायनिक विधि के साथ कीट का प्रकोप अगर आर्थिक क्षति स्तर ईटीएल से ज्यादा हो तो फिर रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसानों को प्रथम व द्वितीय अवस्था के दौरान ही कातरा के नियंत्रण किए जाने को लेकर प्रति हेक्टर भूमि में 25 किलो का चूर्ण क्यूनालफॉस 1.5% (Quinalphos 1.5%) का उपयोग करें। वहीं अगर पानी की उपलब्धता हो तो फिर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. (Chlorpyrifos 20 EC.) प्रति हेक्टर 1 लीटर या फिर क्यूनालफॉस 25 ई.सी. (Quinalphos 25 EC) प्रति हेक्टर 625 मिलीलीटर की मात्रा के साथ कीट के प्रकोप से फसलों को बचाव कर सकते हैं।
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