BT cotton Yield: देश में बीटी कॉटन का उत्पादन लगातार कमजोर, कृषि मंत्री का सवाल, आखिर क्यों गिर रहा BT कॉटन का उत्पादन?
हमारे देश में कई राज्यों में कपास की खेती किया जाता है। कई वर्ष पहले कपास की खेती में उत्पादन बढ़ाने को लेकर बीटी कॉटन की शुरूआत किया गया ताकि किसानों को कम खर्चे में अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके। इसी कड़ी में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से 16 जुलाई बुधवार को बीटी कॉटन की क्षमता पर सवाल उठाया गया। क्योंकि बीटी कॉटन को अपने जाने के पश्चात भी कपास की खेती में गुलाबी सुंडी (पिंक बॉलवर्म) का हमला के साथ-साथ कई समस्याएं जिसकी वजह से उत्पादन कमजोर हुआ है। व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े 👉 यहां पर क्लिक करें
BT cotton Yield पर सवाल
उनके द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को यह कहा गया है कि बीटी कॉटन की कई किस्म जारी होने के पश्चात देश में कपास का उत्पादन क्यों काम हो रहा है इस पर विचार किया जाए। बता दे कि वे आईसीएआर के स्थापना दिवस समारोह में यह बात कही है।
बता दें कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से किसने की ओर से उठाई गई चिंता को उनके सामने रखा गया । और उन्होंने अधिकारियों से इन मुद्दों की समाधान करने को लेकर अनुरोध किया गया। उनके द्वारा कोयंबटूर में 11 जुलाई को 1 उत्पादक बैठक दिए गए बयानों के पश्चात विचार आया है।
आखिर बीटी कॉटन की किस्म संकट में क्यों?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बैठक के दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से भारत में कपास उत्पादन की चुनौतियों को स्वीकार किया गया। क्योंकि हमारे देश भारत में कपास उत्पादकता अन्य देशों के मुकाबले में कम हो रहा है। उनकी ओर से बताया गया कि बीटी कपास की किस्म जिसको उत्पादन बढ़ाने को लेकर विकसित किया गया। जो कि बीमारियों से हो रहे खतरे का सामना हो रहा है। जिसकी वजह से उत्पादकता में भी गिरावट देखा जा रहा है।
उनके द्वारा आगे बताया गया कि हमारे देश भारत में अन्य देशों के जैसे ही आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने और रोग प्रतिरोधक के साथ-साथ उच्च पद देने वाले बीच को विकसित किया जाए। जिससे कपास की उत्पादकता बढ़ाने को लेकर हम संभव कदम उठाया जाना चाहिए।
Conclusion: बीते कुछ वर्ष के दौरान बीटी कॉटन का उत्पादन जिस तरह से कम हुआ है जिसको लेकर किसानों के अलावा वैज्ञानिकों को भी चिंता बढ़ा दिया है बता दें कि अच्छी तैयारी होने के बाद भी बीटी कपास को भारतीय बाजार में उतारा गया। जिस पर यह मत था कि इसके चलते उत्पादन हमेशा से ही ज्यादा होगा और इसमें कीट रोग का प्रकोप भी काम होगा परंतु अब कुछ साल में ठीक इसके विपरीत हो रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्री की ओर से बीटी कॉटन के उत्पादन को लेकर उठाया गया सवाल जायज लगता है क्योंकि इससे कपास के उत्पादन में कमी तो हो ही रहा है इसी के साथ किसानों की लागत भी बढ़ रही है। वहीं वैज्ञानिक समुदाय को एक बार इसका सटीक जवाब तलाशना चाहिए।
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