मानसून के पहुंचने पर अच्छी बारिश, सोयाबीन की बुवाई में किसानों को लेना है बंपर उत्पादन, तो अपनाए यह तरीका

मानसून के पहुंचने पर अच्छी बारिश, सोयाबीन की बुवाई में किसानों को लेना है बंपर उत्पादन, तो अपनाए यह तरीका

देश के अधिकतर राज्यों में मानसून का प्रवेश हो चुका है और किसानों के द्वारा खरीफ सीजन यानी कि मानसून के मौसम में कई राज्यों में तिलहन फसल सोयाबीन की बुवाई भी किया जाता है। वही सोयाबीन की फसल को बुवाई करने से पहले कृषि वैज्ञानिकों का विशेषज्ञों के मुताबिक अगर सही समय पर सावधानी के साथ सोयाबीन की फसल की बुवाई नहीं किया जाए तो उत्पादन अच्छे से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

 

हमारे देश में सबसे अधिक सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में किया जाता है। और इन राज्यों के किसानों के द्वारा मानसून के सीजन में पहली बार इसके बाद से ही सोयाबीन फसल की बुवाई आरंभ हो जाता है। ऐसे में इस वर्ष मौसम विभाग की ओर से सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना भी जताया गया है। ऐसे में उम्मीद है किसानों को अबकी बार अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।

सोयाबीन की बुवाई मानसून में कैसे करें

बता दे कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी IARI के विशेषज्ञों की ओर से बताइए अनुसार सोयाबीन की फसल एक सोयाबीन संवेदनशील फसल, जिसकी बुवाई को आरंभिक चरणों में किसानों को बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

जिसको लेकर किसानों को अपनी फसल में 20 क्विंटल से 25 क्विंटल के करीब उत्पादन को प्राप्त करना है। तो उनको तो बीज की गुणवत्ता के साथ-साथ किसानों को अच्छे से खेत को तैयार करना और सही समय पर बुवाई करना जरूरी है। ऐसे में किसानों को अबकी बार बंपर उत्पादन के लिए फसल की बुवाई में कौन-कौन सी बातों का मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए आए जानते हैं जानकारी के साथ…

बुवाई समय का सही से चयन करना

किसानों को सोयाबीन की फसल बुवाई करने को लेकर सबसे अच्छा समय मानसून की पहली बारिश के दौरान कम से कम 75 से लेकर 100 मिलीमीटर तक की बारिश होने के पश्चात 8 से 10 दिन में ही सही समय करना माना गया है। इससे पहले बुवाई करना या फिर बहुत देरी से बुवाई करना किसानों के लिए फसल में बी के अंकुरण करण के साथ-साथ उपज में विपरीत असर देखा जा सकता है।

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किसान अपनाए उन्नत किस्म का बीज

सोयाबीन की फसल की बुवाई के दौरान किसानों को उन्नत किस्म का बीच का चयन करना चाहिए। जिसमें कृषि विभाग व रिसर्च इंस्‍टीट्यूट्स के द्वारा अनुशंसित किस्मों को उपयोग में लाकर अच्छी पैदावार लिया जा सकता हैं और इन किस्म को रोग प्रतिरोधी और अधिक उत्पादन देने वाली माना जाता है। जो कि नीचे दिया गया है।

1). सोयाबीन किस्म JS-95-60
2). सोयाबीन किस्म JS-93-05
3). सोयाबीन किस्म NRC 37 (Ahilya 4)
4). सोयाबीन का किस्म MACS 1188

बीजोपचार करने की आवश्यकता

किसान को अपनी भूमि में बुवाई करने के पहले ही बीजों को ट्राइकोडर्मा, राइजोबियम व PSB (फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया) के साथ ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए। जिसकी वजह से फसल में आने वाले रोगों से बचाव होता है, वहीं फसल के पौधों की जड़ों का बेहतर तरीका से बढ़ोतरी मिलेगा।

बुवाई के लिए सही विधि व पर्याप्त दूरी 

सोयाबीन फसल की बुवाई के दौरान किसानों को बीज को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई के साथ करना चाहिए। वहीं पौधे से पौधे और पंक्ति से पंक्ति की दूरी क्रमशः 5 से 7 और 30 से 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए। किसानों को इसके साथ ही मिट्टी की जांच करवाई जाने पर नाइट्रोजन, पोटास या फिर फास्फोरस को डालना चाहिए। वहीं किसानों को सब इनके फसल में 30 दिन यानी एक महीने के दौरान अधिक सिंचाई करने से बचाव करें। क्योंकि इसकी वजह से जड़ सड़न की समस्या भी देखा जा सकता है।

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