फसल पकने के बाद खेतों में बचने वाले अवशेष व पराली यानी नरवाई को जलाने के कई घटनाएं देखने को मिलती है। जिस पर सरकार की ओर से कड़ा फैसले लिए जा रहे हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश राज्य में भी पराली यानी नरवाई जलाने के मामले काफी ज्यादा देखे जा रहे हैं। जिसको लेकर सरकार के द्वारा सख्ती करने को लेकर फैसला किया गया।
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जिन किसानों के द्वारा नरवाई जलाने के मामले उजागर हुए हैं उनके खिलाफ अभी तक जुर्माना के अलावा एफआईआर दर्ज किया जा रहा था। लेकिन अब प्रदेश सरकार की ओर से पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी योजना में फायदा लेने के अलावा अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक्री से भी वंचित करने को लेकर फैसला किया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ओर से इस फैसले को लेकर गुरुवार को जानकारी दिया गया।
पराली जलाना पर्यावरण के लिए नुकसानदायक
एमपी के CM मोहन यादव की ओर से बताया गया कि मध्य प्रदेश कृषि आधारित राज्य जहां पर फसलों की कटाई होने के पश्चात किसानों के द्वारा नरवाई जलाने के घटना के पश्चात वायु प्रदूषण के अलावा अन्य तरह के पर्यावरण काफी नुकसान देखा जा रहा है। क्योंकि जब खेतों में आग लगता है तो जमीन में मौजूद पोषक तत्व खत्म होने के साथ-साथ भूमि की उर्वरक क्षमता भी कम हो जाती है। प्रदेश सरकार की ओर से इसी समस्या को निपटारा करने के लिए पराली जलाने को लेकर पहले ही प्रतिबन्ध किया जा चुका है।
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नहीं मिल पाएगा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का फायदा
मुख्यमंत्री मोहन यादव की ओर से बताया गया कि इस फैसले के बाद भी अगर कोई किसान अपने खेत में पराली जलाता है। तो फिर उसको मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ प्राप्त नहीं हो पाएगा। वहीं इसके अलावा वे किसानों को अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आगामी साल से नहीं बेंच पाएंगे।
बता दें कि मुख्यमंत्री की ओर से मुख्यमंत्री निवास में राजस्व विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया। उनकी ओर से कहे मुताबिक राज्य सरकार की ओर से यह फैसला पर्यावरण, भूमि की उत्पादकता और मिट्टी संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है जो की 1 में से लागू होगा
मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा केंद्र से किसानों को लेकर अपील
एमपी सरकार की ओर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में शामिल करने को लेकर फरवरी 2019 के पश्चात नए भू-धारकों को भी शामिल करने का आग्रह किया गया। केंद्र सरकार योजना के तहत हर वर्ष पात्र किसानों को टोटल 6000 रुपए आर्थिक मदद के तौर पर 3 किस्तों में उनके बैंक खाते में दिया जाता है।
मध्य प्रदेश राज्य में मार्च 2025 के दौरान 85 लाख से भी ज्यादा लाभार्थियों को 28800 करोड रुपए राशि दिया गया और इसके अलावा प्रदेश सरकार के द्वारा भी पात्र किसानों को 6000 रुपए का मदद दिया जा रहा है।
फसलों को का राज्य में हो रहा डिजिटल सर्वे
बता दे की साल 2024 से राजस्व विभाग की ओर से गिरधारी को लेकर फसलों का डिजिटल सर्वे का कार्य आरंभ किया गया जिसमें 60000 से अधिक ग्रामीण युवा खेत के अलावा फसलों का सर्वे का काम पूरा किया जा रहा है। कहा गया है कि एमपी में 190 प्रकार की फसलों का खेती किया जाता है।