Punjab Farmers CRM Subsidy: राज्य सरकार का पराली जलाने को लेकर बड़ी पहल, किसानों के लिए सब्सिडी पर खर्च किया जाएगा 500 करोड़ रुपए
खरीफ सीजन के दौरान देश के कई हिस्सों में धान की फसल की बुवाई किया जाता है। लेकिन फसल के पकने के बाद बीते कुछ सालों में पराली जलाने को लेकर बड़ी समस्या बनी हुई है। जिसको लेकर सरकार व किसानों की ओर से धीरे धीरे सुधार देखने को मिल रहा है। धान की फसल में कटाई होने के बाद बचने वाले फसल अवशेष को जलाए की घटना की रोकथाम को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा किसानों को कृषि यंत्र व अन्य प्रकार से प्रबंधन के लिए सब्सिडी दिया जा रहा है।
Punjab Farmers CRM Subsidy
इसी कड़ी में अब पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब राज्य में पराली जलाने के मामले में रोकथाम पाने हेतु 5 सौ करोड़ रुपए बजट के माध्यम से नई योजना तैयार किया है। सरकार की इस योजना के माध्यम से किसानों को पराली जलाने की रोकथाम को लेकर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य सरकार के द्वारा नई योजना के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों को खरीद को पाने वाले किसानों को सब्सिडी दिया जाएगा। पंजाब कृषि विभाग के द्वारा इस संबंध में किसानों के द्वारा ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। जिसके लिए पंजाब कृषि मंत्री की तरफ से अपने बयान में बताया कि प्रदेश सरकार व्यक्तिगत किसानों को 50 फीसदी व सहकारी समिति व ग्राम पंचायत को CRM उपकरण खरीदने को लेकर 80 फीसदी सब्सिडी दिया जा रहा है। उनके अनुसार सरकार की तरफ से इस पहल का मुख्य उद्देश्य सीआरएम उपकरणों को ज्यादा सुलभ, बनाने और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने व स्वच्छ पर्यावरण में हिस्सेदारी देना है।
किन किन मशीनों के ऊपर सब्सिडी मिलेगा
कृषि मंत्री के बताए अनुसार किसान सब्सिडी के फायदा हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, सुपर एसएमएस, स्मार्ट सीडर, बेलर, जीरो टिल ड्रिल, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर आदि मशीनों पर ले पाएंगे।
पराली जलाने के मामलों में बीते आई कमी
बता दें कि कृषि विभाग के प्रशासनिक सचिव बसंत गर्ग के द्वारा कहा गया है बीते सीजन के दौरान पंजाब सरकार के द्वारा CRM मशीन पर 17600 सब्सिडी पर दिया गया। जो कि किसानों, सहकारी समितियों व ग्राम पंचायत में दी गई। इसके अलावा कस्टम हायरिंग सेंटर 1331 भी बनाया गया। जिसके चलते किसान को छोटे है और किराए पर लेकर काम किया जा सकता है।
राज्य सरकार की तरफ से की गई इन कोशिशों के चलते पराली जलाने के मामले में 70 प्रतिशत की गिरावट देखा गया। पराली जलाने की वर्ष 2023 के दौरान 36 हजार 663 घटनाएं देखने को मिली वहीं वर्ष 2024 के दौरान 10 हजार 909 ही रह चुकी है।
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