रबी की फसल कटाई के बाद अब किसानों के द्वारा खरीफ फसल के तौर पर बिजाई का कार्य तेजी के साथ आरंभ हो रहा है। जिसमें मुख्य रूप से किसानों के द्वारा कपास की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कपास की खेती हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी किया जाता है। वही राजस्थान प्रदेश की बात करें तो गंगानगर जिले में कपास की पट्टी के नाम से जाना जाता है।
Cotton Seed Expensive
लेकिन अबकी बार राजस्थान प्रदेश के श्रीगंगानगर जिले में कपास की खेती करने वाले किसानों पर बीटी कॉटन के बीज के मूल्य में बढ़ोतरी होने से आर्थिक भार उठाना पड़ेगा। वर्ष 2025-26 को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने नई अधिसूचना जिसके अनुसार बीटी कॉटन बीजों के अधिकतम विक्रय कीमतों में वृद्धि किया गया।
बीजी – । (प्रथम) के अधिकतम विक्रय मूल्य 635 रुपए व बीजी – ।। (द्वितीय) की कीमत 901 रुपए निर्धारित किया गया है। यह कीमत 475 ग्राम रिफ्यूजिया-इन-बैग (आरआइबी) पैकेट पर लागू किया गया है।
जानकारी जिसमें 5% से लेकर 10 % गैर-बीटी कॉटन बीज इंक्लूडेड हैं। बता दें कि सेवानिवृत्त उपनिदेशक कृषि श्रीगंगानगर मिलिन्द सिंह के मुताबिक साल 2024/25 के दौरान बीजी-प्रथम का मूल्य 635 रूपये था। जो कि इस साल भी स्थिर रहने वाला है।
वहीं इसके अलावा बीजी-द्वितीय बीज का मूल्य में 4.2% यानी 37 रुपए बढ़ाया गया है। जिसके चलते बीजी-द्वितीय बीज का रेट 864 से अधिक होकर 901 रुपए किया गया है।
जारी नहीं हुआ स्वीकृत बीटी किस्मों का सूची
चालू खरीफ सीजन को लेकर राजस्थान प्रदेश सरकार की ओर से बीटी कॉटन (BT Cotton) बीज उत्पादक कंपनियों के पंजीकरण की प्रक्रिया व किस्मों के अनुमोदन की सूची जारी नहीं किया है। जिसकी वजह से किसान असमंजस में हैं। जिसके चलते कॉटन उत्पादन के खर्च में बढ़ोतरी व किसानों की आय में नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।
कीट की समस्या व उत्पादन में गिरावट
कपास की खेती के इस क्षेत्र में पैदावार में कमी आ रही है। वहीं फसल में गुलाबी सुंडी की तरह कीटों का प्रकोप में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष कालू थोरी के कहने की मुताबिक कंपनियों के द्वारा खराब गुणवत्ता (Quality) का बीज दिया जा रहा। वहीं भारत सरकार को बीजों के मूल्य में बढ़ोतरी करने के निर्णय को बदलना चाहिए।
आंकड़ों में कपास के उत्पादन में आई गिरावट
भारत में कपास उत्पादक को लेकर कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cotton Association of India) के आंकड़ों में उत्पादन प्रति हेक्टेयर साल 2014-15 कपास (लिंट यानी बिनौला रहित) 510.82 किलोग्राम जो कि साल 2024-25 में गिरकर प्रति हेक्टेयर 436.99 किलोग्राम तक पहुंच गया है। वहीं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बीजों के मूल्य व गुणवत्ता पर फिर से विचार करना चाहिए।
कॉटन बुवाई का 4 साल में रकबा
Source:- कृषि विभाग, श्रीगंगानगर बुवाई हेक्टेयर में
1. साल 2021-22 में 3,04564
2. साल 2022-23 में 3,62,9093
3. साल 2023-24 में 4,20,540
4. साल 2024-25 में 2,50,376