Direct Seeding Subsidy: किसानों को राज्य सरकार धान की सीधी बिजाई करने पर देगी सब्सिडी, फसल को पकाने में कम पानी और श्रम लागत भी कम होगी

देश के कई राज्यों में धान की फसल बड़े स्तर पर लगाई जाती है। परंतु धान की फसल को पारंपरिक खेती के रूप में किए जाने पर इसमें अधिक पानी की खपत होता है। इसके अलावा कृषि मजदूर की कमी होने के कारण किसान को कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। इसी कड़ी में सरकार की तरफ से किसानों को धान की फसल को सीधी बिजाई किए जाने के बाद अनुदान दिया जा रहा है।

 

किसानों को धान Direct Seeding Subsidy

किसानों को धान की खेती में आ रही अधिक पानी खपत, और अन्य प्रकार की दिक्कत को दूर करने के लिए हरियाणा प्रदेश सरकार ने किसानों की धान की खेती डीएसआर विधि को अपनाने को लेकर प्रति एकड़ 4 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।

Direct Seeding Subsidy: हरियाणा प्रदेश में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा की ओर से बताया गया धान की फसल को बिजाई के लिए सीधी बिजाई (डीएसआर) से जो किसान करते हैं उनको राज्य सरकार के द्वारा प्रति एकड़ 4 हजार रुपए सब्सिडी प्रदान किया जा रहा है। जो कि देश में सबसे ज्यादा है।

सतत धान खेती को बढ़ावा देने में हरियाणा अग्रणी राज्य है। पारंपरिक रोपाई विधियों में अधिक पानी जरूरत की तुलना में DSR में धान की रोपाई करने की जरूरत नहीं रहती, जिसके कारण किसान को पानी की खपत के साथ ही श्रम लागत में काफी कमी आती है।

सरकार दे रही धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा 

बता दें कि हरियाणा कृषि विभाग के सहयोग के चलते सवाना सीट्स की ओर से जल संरक्षण आधारित खेती को बढ़ावा दिए जाने को लेकर डीएसआर यानी धान की सीधी बिजाई को लेकर इसके लाभ व आने वाली चुनौतियों को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर कृषि मंत्री के द्वारा बताए अनुसार राज्य सरकार DSR को 1 स्थाई विकल्प के रूप में बढ़ावा दिए जाने को लेकर प्रतिबद्ध है। वहीं किसानों को वित्तीय मदद, प्रशिक्षण के अलावा उन्नत बीज तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगी।

उनके अनुसार हरियाणा प्रदेश में धान की खेती एक प्रमुख खरीफ फसल जिसमें किसानों को घटते जलस्तर, खरपतवार नियंत्रण के साथ ही श्रम लागत जैसी कई चुनौतियों का सामना करना होता है। पारंपरिक धान की फसल की खेती करने के लिए प्रति किलो धान उत्पादन को लेकर तकरीबन 3000 से 4000 लीटर पानी की जरूरत रहती है। जिसकी वजह से यह जल-गहन प्रक्रिया बन जाती है। इसके ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार डीएसआर विधि को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। ताकि इसके लिए जल संरक्षण किया जाए और कृषि दक्षता में सुधार हो सके।

 

 

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